रोज मांस खाने से हो सकते हैं कैंसर रोगी, जानें क्या कहता है रिसर्च
सेहतराग टीम
आज के समय में अधिकतर लोग मांस खाना पंसद करते हैं। यही नहीं लोग सोचते हैं कि मांस खाने से हमारा शरीर स्वस्थ्य और तंदुरुस्त बना रहेगा, लेकिन सच्चाई इसका एकदम उल्टा होता है। दरअसल मांस हमे औऱ भी बीमार बना देता है। अगर आप भी यही सोचते है तो जरा संभल जाइए, क्योंकि इनमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है और इसलिए इसका सेवन बढ़ा देना आपकी सेहत के लिए खतरा बन सकता है। जी हां, करीब 30 हजार लोगों पर किए गए एक नए अध्ययन में ये सामने आया है कि हर सप्ताह में दो बार प्रोसेस्ड मीट या फिर अनप्रोसेस्ड मीट का सेवन किसी न किसी कारण मृत्यु के जोखिम से जुड़ा हुआ है।
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शोधकर्ताओं का कहना है कि सप्ताह में दो बार प्रोसेस्ड मीट, अनप्रोसेस्ड रेड मीट या फिर चिकन का सेवन ह्रदय रोगों के खतरे के समान है। हालांकि चिकन खाने से ये खतरा उसकी स्किन या फिर चिकन को तलकर खाने से हो सकता है। अध्ययन में ये भी कहा गया कि मछली का सेवन किसी प्रकार के जोखिम से जुड़ा नहीं है।
ये नए निष्कर्ष उस विवादास्पद अध्ययन के कुछ महीनों के भीतर आए हैं, जिसमें ये दावा किया गया था कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए रेड और प्रोसेस्ड मीट को कम करने की कोई जरूरत नहीं है।
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी फीनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रीवेंटिव मेडिसिन की सहायक प्रोफेसर और अध्ययन की मुख्य लेखक नोरिना एलेन ने एक बयान में कहा, ''सभी को लगता है कि रेड मीट को खाना सही है लेकिन मुझे नहीं लगता और साइंस भी इसका समर्थन करती है।''
उन्होंने कहा, ''यह एक मामूली सा अंतर है लेकिन रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट से दूरी बनाना आपकी सेहत को दुरुस्त रखने का सबसे अच्छी तरीका है। पिछले कुछ अध्ययन में कैंसर जैसी घातक बीमारी के साथ संबंध भी दर्शाए गए थे।''
ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ रिडिंग के न्यूट्रिशन एंड फूड साइंस के प्रोफेसर गुंटेर कुह्नले का कहना है कि वास्तविक खतरे का बढ़ना बहुत कम हो लेकिन ये किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत ज्यादा महत्व रखता है। अध्ययन में शामिल गुंटेर का कहना है कि हालांकि यह एक बड़ी आबादी के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है। उन्होंने कहा कि करीब 10 लाख लोग हर साल ह्रदय रोग से ग्रस्त होते हैं और आपकी डाइट में जरा सी कमी प्रभावशाली नतीजें सामने ला सकती है और लोगों की संख्या को कम कर सकती है।
इस नए अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को पहलू बनाया। शोधकर्ताओं ने यह पता लगाने की कोशिश की, आखिर लोग जब कम मीट के सेवन का विकल्प चुनते हैं तो उनमें ह्रदय रोग सहित किसी भी बीमारी का खतरा बढ़ता है या फिर ऐसा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि चिकन का सेवन करने वाले लोगों में कम ह्रदय रोग का जोखिम था।
अध्ययन में ये भी पाया गया कि वे लोग, जिन्होंने सप्ताह में दो बार से ज्यादा चिकन का सेवन किया उनमें ह्रदय रोग का जोखिम 4 फीसदी अधिक था। हालांकि अध्ययन में ये नहीं पूछा गया कि उन्होंने चिकन बिना त्वचा वाला खाया था फिर फ्राई करा। शोधकर्ताओं का कहना है कि कितना चिकन खाना चाहिए इस बारे में कोई भी तथ्य स्पष्ट नहीं हो पाया है।
हालांकि शोधकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि चिकन और फिश सहित फ्राई फूड को खाने से बचना चाहिए क्योंकि ज्यादा तलने से ट्रांस फैटी एसिड बढ़ सकता है और फ्राइड फिश संभवित रूप से क्रॉनिक डिजिज से जुड़ी हुई है।
कोर्नेल यूनिवर्सिटी में न्यूट्रिश्नल साइंस के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखकों में से एक विक्टर झोंग का कहना है कि क्या आप जानते हैं कि अध्ययन से क्या निकला है? जो भी व्यक्ति अपने ह्रदय स्वास्थ्य, कैंसर और अन्य बीमारियों के जोखिम को लेकर चिंतित है उन्हें रेड और प्रोसेस्ड मीट के सेवन को सीमित कर देना चाहिए ।
उन्होंने कहा, ''हमारा अध्ययन दिखाता है कि ह्रदय रोगों और मृत्यु के बीच संबंध मजबूत है। जानवों से प्राप्त होने वाले प्रोटीन के इन फूड को बदलकर ह्रदय स्वास्थ्य के खतरे को कम किया जा सकता है और समय से पहले बड़ी संख्या में मर रहे लोगों को बचाया जा सकता है।''
वहीं मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. तिलक सुवर्णा का कहना है, '' पहले के अध्ययनों में ये बताया गया था कि रेड मीट का सेवन किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है लेकिन यह पूर्ण रूप से सही नहीं है। यह किसी व्यक्ति विशेष के लिए हो सकता है, जिसमें जोखिम बहुत कम दिखाई देता है। लेकिन जब सार्वजनिक स्वास्थ्य के नजरिए से देखेंगे तो आपको इसका प्रभाव दिखाई देगा। रेड मीट के सेवन में कमी बड़ी आबादी में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामलों में कमी ला सकती है। जैसा कि हाल के कुछ अध्ययनों में सामने आया है और अतीत के कुछ अध्ययनों में दिखाई भी दिया है।''
(साभार- दैनिक जागरण)
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